मेरी समझ में यह बात बार बार खटक रही है की भ्रस्ट्राचार के खिलाफ यदि कोई आवाज उठाता है तो उसे यह कहकर कुचलने की कोशिस की जाती है की आवाज उठाने वाला भी दूध का धुला नहीं है जबकि भ्रष्ट्राचार के खिलाफ कोई भी आवाज उठाए उसका स्वागत होना चाहिए हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि जब राम लंका में चढ़ाई के लिए पुल बना रहे थे उसके पूजन में रावण को बुलाया था.
अरे भाई कानून बनेगा तो फंदा तो उसके गले में भी पड़ेगा न .
तो आरोप पर्त्यारोप में समय नस्त क्यों?
कैलाश जोशी ९७२०००७३९६